वानी

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तुम पत्थर दिल हो

चैप्टर 22 तुम पत्थर दिल हो

अब तक आपने पढ़ा सिद्धार्थ गुस्से में चिल्लाता है उसे रोकने के लिए मीरा तेज़ आवाज़ में कहती है तो उसकी टाके टूट जाते हैं शौर्य तनुजा और सिद्धार्थ से कुछ कहता है तीनो कुछ करते हैं तनुजा चली जाती है


अब आगे

शौर्य मिरा के सर के दोनों तरफ हाथ रख लेता है ,और उसके उपर झुकने लगता है, मिरा डर के मारे अपनी आँखे बंद कर लेती है और अपने होंठो को मुंह के अंदर कर लेती है उसकी सांसे राजधानी से भी तेज़ चल रही थी।

शौर्य उसकी इस हरकत पर मुस्कुरा देता है और उसके बेड के पास रखी चेयर पर बैठ जाता है , मिरा को जब कुछ महसूस नहीं होता तो वो आंख खोल  कर देखती है तो शौर्य बैठा मुस्कुरा रहा था, शौर्य उसे देखते हुए कहता है "फिकर मत करो कुछ नहीं करूँगा तुम्हारे साथ, लेकिन तब तक जब तक तुम ठीक नहीं हो जाती उसके बाद बचोगी  नहीं मुझसे"

मिरा को उसकी बात समझ नहीं आती है तो वो पुछती है "मतलब क्या है तुम्हारा"  शौर्य मिरा को इग्नोर कर देता है और अपना सर झुका कर कहना शुरू करता है

"तुम उस दिन आइ क्यों नहीं आई, एसी अगर कोई मजबूरी थी भी तो तुमने मुझे क्यों नहीं बताया, मैं साथ देता तुम्हारा,,,, हम साथ में सब सम्भाल लेते"

शौर्य मिरा का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहता है "क्या इतना भी भरोसा नहीं था"

मिरा उसकी आँखों में अपने लिए प्यार देख सकती थी, वो उसे देखते हुए कहती है  "मैंने किसी से वादा किया था शौर्य ,उससे रिश्ता निभाने का वादा,,एक बच्चे के लिए एक माँ की ममता का वादा, कुछ बातो को राज़ रखने का वादा ,क्या कहती मै तुमसे की तुम उस बच्चे को अपना लो, नहीं शौर्य क्योंकि तुम्हारा उससे कोई वास्ता नहीं था, तुम मेरे लिए उसे अपना भी लेते ,लेकिन तुम सिर्फ 17 साल के एक बच्चे ही तो थे, और मैने वादा किया था किसी से उसके हर रिश्ते को सम्भालने का वादा,,,आइ थी आखिरी बार तुम्हे देखने और वही उसी जगह मिरा को दफन कर दिया ,,मिरा तो वही रह गयी शौर्य मैं श्रेया हूँ ,राहुल की माँ श्रेया"

शौर्य उसे देखते हुए दुखी लेकिन थोड़े गुस्से वाले लहजे में कहता है "और मेरा क्या" मिरा नज़र झूका लेती है और कहती है "तुमसे ना कोई रिश्ता तब था, ना आज है ,ना कोई वादा था ,मुझे लगा तुम धोकेबाज समझ भुल जाओगे और जि़न्दगी में आगे बढ़ जाओगे, पर उस दिन तुम्हारे ओफिस में सब देखने और सुनने के बाद मैं चली जाना चाहती थी तुमसे दूर ले..."

मिरा आगे कुछ कहती उससे पहले ही शौर्य उसके सर के दोनों तरफ हाथ रखते हुए उसके करीब आकर गुस्से में दांत पिसते हुए कहता है"  "तुम्हे लगता है तुम मुझसे दुर जा पाओगी. . . . मैं वो 17 साल का लड़का नहीं हूँ ,जिससे तुम भाग सकती हो ,और रही बात रिश्ते की"

शौर्य उसके थोड़ा और पास आकर कहता है "तो अब तुमसे रिश्ता भी है, और तुमपर हक भी, और रही बात दुर जाने की तो मुझसे दूर जाने की बात सोचना भी मत वरना मैं क्या कर सकता हूँ तुम सोच भी नहीं सकती"

वो सिधा खड़ा हो जाता है और अपनी जेब में हाथ डालकर कहता है "तुम अपना हर वादा निभाओ ,कोई प्रोबलम नहीं है ,लेकिन मुझसे दूर जाने की सोचना भी मत"    मिरा आज उसकी आँखों में एक ज़िद देख रही थी ,उसने अभी कुछ भी कहना सही नहीं समझा तभी दरवाजे पर दस्तक हुइ और रंधिर, अबिर, रिहान राहुल सिद्धार्थ और गौरी के साथ अंदर आए

सबको वहाँ देख शौर्य सोफे पर जाकर बैठ जाता है और उसी के साथ सिद्धार्थ भी

गौरी कहती है "कैसी हो तुम" मिरा कहती है "मैं ठीक हूँ अब" सब बात करने लगते हैं ,गौरी कहती है "क्या जादू किया है तुमने तुमहारे बिना दोनों शांत रहते हैं, पता है मिरा तुम बहुत अच्छी हो तुममे जितनी ममता और प्यार है ना उतना तो मुझमें भी नहीं है बहुत लकी होगा वो शख्स जिससे तुम्हे मोहब्बत होगी"

उसकी बात सुन शौर्य खुश😄 हो जाता है और सिद्धार्थ से कहता है "वो तो मैं हूँ"   सब बात करके जाने लगते हैं तभी रंधिर कहता है "मिरा मैने दोनों को वापस स्कूल जाने के लिए कह दिया है ,और इनकी पेरेंट्स टिचर मिटिंग होने वाली है और प्रिंसिपल ने तुम्हे बुलाया है" मिरा कहती है "आप फिक्र मत किजिए रंधिर जी ,मै बात कर लुंगी सर से और तब तक ठीक हो जाउंगी"

सब उसे आराम करने के लिए कहकर निकल जाते हैं ,सिद्धार्थ मिरा को नम आँखों से देखते हुए कहता है "मिरा क्या अब भी मुझे उसके बारे में नहीं बताओगी, तुम जानती हो मैं बस उसकी वजह से चुप हूँ"

और कुछ देर मिरा को देखता है जब उसे यकीन हो जाता है कि वो कुछ नहीं बोलेगी तो सिद्धार्थ कहता है "पत्थर दिल हो तुम मिरा और वहा से चला जाता है"  शौर्य भि उसे अराम करने के लिए कहकर चला जाता है"

मिरा आंखे बंद कर लेती है उसकी आँखों से एक बुंद आंसू उसके तकीए पर गिर जाता है बहुत कुछ चल रहा था उसके दिमाग में वो सोचते सोचते सो जाती है"


"सिंह मेन्शन"

महेंद्र अब पहले से ठीक था वो अपने डैड से कहता है," डैड वो अभी भी ज़िंदा है"  उसके डैड यशवंत कहते हैं "अभी वो होस्पिटल में है ,और हम वहाँ उसे नहीं मार सकते हैं क्योंकि वो होस्पिटल शौर्य का है और उससे उलझना हमारे लिए सही नहीं है"

महेंद्र कहता है "आप सब उससे इतना डरते क्यों है ,आखिर वो एक बिज़नेसमेन ही तो है और वो हमारा क्या बिगाड़ सकता है"

यशवंत कहते हैं "सही कहा वो सिर्फ एक बिज़नेसमेन है, लेकिन वो क्या कर सकता है उसका अंदाजा तुम लगा भी नहीं सकते हो अंडरवर्ल्ड उसकी जेब में रहता है उसे सिर्फ एक शख्स रोक सकता है" "कौन महेंद्र पुछता है"

"साशा"  यशवंत कहते हैं "ये शौर्य को रोक सकता है, लेकिन उसे कभी किसी ने देखा नहीं है, कहा रहता है क्या करता है किसी को नहीं पता" महेंद्र कहता है "तो हम उससे मिलेंगे कैसे"

यशवंत कुछ सोच कर कहता है "उसके लिए खतरी से मिलना होगा उस तक हमे सिर्फ वही पहुँचा सकता है".

कौन है साशा? क्या मिरा और राहुल को मारने में वो यशवंत की मदद करेगा? क्या सिद्धार्थ सच जान पाएगा ? क्या छुपा रही है मीरा?

जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी कहानी "एक मां ऐसी भी" बाय बाय"

वानी #कहानीकार प्रतियोगिता

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